आज आपको मैं "भागलपुर "के शफर पे ले जाऊँगा ,तो चलते है अपने शफर पे 👉👉🚌🚌
भागलपुर गंगा तट पे बसा प्राचीन शहर है। महाभारत काल में इसे अंग प्रदेश का हिस्सा माना गया है। यह बिहार के मैदानी क्षेत्र का आखिरी सिरा और झारखण्ड और बिहार के कैमूर की पहाड़ी का मिलन स्थल है। भागलपुर के निकट स्थित चम्पानगर शूरवीर कर्ण की राजधानी मानी जाती रही है। भागलपुर सिल्क व्यापार विश्व प्रसिद्ध रहा है। प्राचीन काल में विक्रमशिला विश्वविद्यालय भागलपुर में ही था।
दार्शनिक स्थल :-
* मंदार पहाड़ी :-
यह पहाड़ी भागलपुर से 48km की दूरी पर है,जो अब बांका जिले में है। इसकी ऊंचाई 800 फीट है। कहा जाता है की सागर मंथन में इस पर्वत का प्रयोग किया गया था। इस पहाड़ी के चारों तरफ अभी भी शेषनाग के चिन्ह को देखा जा सकता है,जिसको इसके चारों ओर बांधकर समुंद्र मंथन किया गया था। इस पर्वत की सबसे बड़ी विशेषता इसकी चोटी पर स्थित झील है ,जिसको देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते है।
* विक्रमशिला विश्वविद्यालय :-
यह भागलपुर से 38km दूर अन्तीचक गाँव के पास है। विक्रमशिला विश्वविद्यालय नालंदा के समकक्ष माना जाता था। इसका निर्माण पाल वंश शासक धर्मपाल (770 -810 ईसा )ने करवाया था।
* हलगांव:-
भागलपुर से 32km की दूरी पर स्थित है। यहां तीन छोटे -छोटे टापू है। कहा जाता है की जाह्नु ऋषि के तप में गंगा की तीव्र धारा से यहीं पर व्यवधान पड़ा था।,इससे क्रोधित होकर ऋषि ने गंगा को पी लिया। बाद में राजा भागीरथ के प्रार्थना के उपरांत उन्होंने गंगा को अपनी जांघ से निकाला। तभी से गंगा का नाम जाह्नवी कहलाया।
* कुप्पा घाट :-
यह भागलपुर रेलवे स्टेशन से 7km उत्तरपूर्व मायागंज में स्थित है। यहाँ महर्षि मिही और संत सेवीजी का समाधी स्थल है ,महर्षि मिही के स्मारक को कुप्पा आश्रम कहा जाता है,और ये गंगा घाट के किनारे स्थित है तो इसको कुप्पा घाट के नाम से वि जाना जाता है।
* मनसा देवी का मंदिर :-
अंग क्षेत्र के लोक महापर्व विषहरी पूजा में मनसा देवी की पूजा मनसा देवी मंदिर में बहुत धूम धाम से मनाया जाता है ,यहाँ नागपंचमी को बड़ा सा मेला आयोजित किया जाता है।
तो कैसा लगा आज का ये दर्शन कमेंट्स कर के जरूर बताये !!!!!!!!!!
भागलपुर
दार्शनिक स्थल :-
* मंदार पहाड़ी :-
यह पहाड़ी भागलपुर से 48km की दूरी पर है,जो अब बांका जिले में है। इसकी ऊंचाई 800 फीट है। कहा जाता है की सागर मंथन में इस पर्वत का प्रयोग किया गया था। इस पहाड़ी के चारों तरफ अभी भी शेषनाग के चिन्ह को देखा जा सकता है,जिसको इसके चारों ओर बांधकर समुंद्र मंथन किया गया था। इस पर्वत की सबसे बड़ी विशेषता इसकी चोटी पर स्थित झील है ,जिसको देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते है।
* विक्रमशिला विश्वविद्यालय :-
यह भागलपुर से 38km दूर अन्तीचक गाँव के पास है। विक्रमशिला विश्वविद्यालय नालंदा के समकक्ष माना जाता था। इसका निर्माण पाल वंश शासक धर्मपाल (770 -810 ईसा )ने करवाया था।
* हलगांव:-
भागलपुर से 32km की दूरी पर स्थित है। यहां तीन छोटे -छोटे टापू है। कहा जाता है की जाह्नु ऋषि के तप में गंगा की तीव्र धारा से यहीं पर व्यवधान पड़ा था।,इससे क्रोधित होकर ऋषि ने गंगा को पी लिया। बाद में राजा भागीरथ के प्रार्थना के उपरांत उन्होंने गंगा को अपनी जांघ से निकाला। तभी से गंगा का नाम जाह्नवी कहलाया।
* कुप्पा घाट :-
यह भागलपुर रेलवे स्टेशन से 7km उत्तरपूर्व मायागंज में स्थित है। यहाँ महर्षि मिही और संत सेवीजी का समाधी स्थल है ,महर्षि मिही के स्मारक को कुप्पा आश्रम कहा जाता है,और ये गंगा घाट के किनारे स्थित है तो इसको कुप्पा घाट के नाम से वि जाना जाता है।
* मनसा देवी का मंदिर :-
अंग क्षेत्र के लोक महापर्व विषहरी पूजा में मनसा देवी की पूजा मनसा देवी मंदिर में बहुत धूम धाम से मनाया जाता है ,यहाँ नागपंचमी को बड़ा सा मेला आयोजित किया जाता है।
तो कैसा लगा आज का ये दर्शन कमेंट्स कर के जरूर बताये !!!!!!!!!!
अगला दर्शन next पोस्ट में। .....
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें