LOCKDOWN का असर मानव जीवन पर
कोरोना महामारी से मानव जीवन अस्त व्यस्त हो चूका है लोगो के रहन सहन पे भी काफी असर परा है। LOCKDOWN होना जरुरी था और अभी भी जरुरी है और हमलोगो को इस LOCKDOWN का समर्थन भी देना चाहिए ,पर कुछ इंसान इसको गलत निर्णय बताते है ,अगर हमारी सरकार सही समय LOCKDOWN नहीं करती तो भारत की हालत इटली जैसी 3 महीने पहले ही हो जाती पर भारत ने यथा संभव प्रयाश किया और कारगर भी हुआ ,पर कुछ असामाजिक तत्वों की वजह से भारत आज कोरोना महामारी के चपेट में पूरी तरह आगया है।ये बिल्कुल सही कहना है की जिसको जो चीज करने से माना करो वो वही काम करता है और इस महामारी में भी यही हुआ जिसका परिणाम आज वो लोग भी देख रहे होंगे जिन्होंने इसका उलंघन किया है और हम और आप भी देख रहे है।
ये कहना आसान नहीं है की इस महामारी से अब कौन बचेगा और कौन नहीं। पर हमे सतर्क रहना और इस से बचने के उपाय करते रहना होगा तब तक जब तक ये महामारी पूरी तरह न समाप्त हो जाए।
आइये अब जानते है LOCKDOWN का असर मानव जीवन पे
LOCKDOWN से मानव जीवन एक ऐसे कागार पे पहुंच चूका है की लोग डिप्रेशन का शिकार हो रहे है ,जो अमीर लोग है उनपे असर तो पारा है पर उतना नहीं जितना एक मध्यम वर्ग की फैमली और गरीब दिहाड़ी मजदूर की फैमली पर परी है ,मध्यम वर्ग की फैमली का काम धाम रुक गया जिस वजह से उनकी रहन सहन पे बहुत बुरा असर पर रहा है और गरीब तो पूरी तरह मारे गए ,सरकार ने इस प्रॉब्लम को दूर करने की कोसिस तो की पर कोई असर दिख नहीं रहा सब दुखी है,कितनो ने तो LOCKDOWN की वजह से खाना बिना जान गवाए है। कितनो की जॉब चली गयी और अब कोई जॉब मिलने का उम्मीद भी नहीं लग रहा 2 से 3 साल तक अब आप ही बताओ ये कहना गलत नहीं होगा की LOCKDOWN ने मानव जीवन को 5 साल पीछे पंहुचा दिया है।और रहा सवाल कोरोना महामारी का तो वो इंसान को डर और बेरोजगारी की ऐसी अँधेरे कुएं में गिरा चूका है जिस से निकलने में लोगो को कितना समय लगेगा कुछ पता नहीं है।
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आगे और भी है तो मिलते है NEXT पोस्ट में। ....
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